कई कलाकार यह मानते हैं कि सही फिल्म के आडिशन पर, सही समय पर मौजूद होना भी किस्मत की बात होती है। कई बार सब कुछ तय हो जाने के बाद भी कलाकार को आखिरी समय पर उस फिल्म से हटा दिया जाता है। अभिनेत्री ऋचा चड्ढा के साथ भी ऐसा करियर के शुरुआती दौर में हुआ है। हालांकि ऋचा इससे निराश होने की बजाय इसे अलग तरह से देखती हैं।वह कहती हैं कि जिन फिल्मों में मुझे सिलेक्ट कर लेने के बाद भी मौके नहीं मिले, वह उन फिल्मों की बदकिस्मती है। वह फिल्में चली भी नहीं थीं। अगर सही कास्ट कर लिया होता, तो शायद वह फिल्में चल जाती। कलाकारों को कई बार इस बात का मलाल रह जाता है कि शायद मैं उस किरदार को बेहतर कर पाती।दूसरी बात यह है कि अगर पियानो बजाने वाले का रोल है, तो उसे सीखने में उस कलाकार को मेहनत करनी चाहिए। अगर मेहनत नहीं की है, तो फिर क्या फायदा। अब वह दिन गए, जब बिना मेहनत के काम चल जाता था। यह बातें खटकती हैं। हमेशा ऐसे कलाकार को मौका देना चाहिए, जो आपकी कहानी के लिए अपनी जान लगा दे।
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